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Prem Mandir Vrindavan – प्रेम मन्दिर

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Prem Mandir vrindavan

Prem Mandir vrindavan में इस्कॉन मंदिर के निकट यह मथुरा से 15 किलोमीटर और दिल्ली हाईवे छटीकरा चौराहा से 5 किलोमीटर की दूरी पर है इस मंदिर का शिलान्यास 2001 में हुआ था और समय के अनुसार Prem Mandir को बनने में 12 साल लगे। इस मंदिर का उद्घाटन दिनांक 14 फरवरी से 16 फरवरी 2012 को संपूर्ण विधि विधान द्वारा संपन्न हुआ ।

उद्घाटन में यज्ञ,.हवन, भजन, कीर्तन की ध्वनि वेद मंत्रों की पवित्र मधुर ध्वनि से चारों दिशाओं गुजयंमान हो गयी, तथा सुगंध से आसपास का क्षेत्र सुगंधित तो उठा। श्री श्री कृपालु जी महाराज ने सभी तीर्थो से जल मंगवा कर 108 कलशों में भरकर कलश यात्रा निकाली । उस जल से से मंदिर का प्रक्षालन करके उसको शुद्ध स्थान बनाया। जैसा आप देखते हैं इस मंदिर की सुंदरता दर्शन योग्य है इसको देखकर के श्रद्धालु भाव विभोर होकर राधे राधे नाम का उच्चारण करते हैं।


इस मंदिर का नाम बडा ही अनोखा है अधिकांश मंदिरों का नाम भगवान के विभिन्न स्वरुपों पर आधारित है जैसे राधा कृष्ण जी का मंदिर रामचंद्र जी का मंदिर लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर हनुमान जी का मंदिर इत्यादि किंतु इस मंदिर का नाम श्री महाराज कृपालु जी ने इसका नाम ”Prem Mandir” इसलिए रखा है क्योंकि भगवान श्री राधा कृष्ण ही सर्वश्रेष्ठ हैं वह प्रेम आधीन हैं।

इस धरती पर जो मनुष्य प्राणी प्रेम की धारा में वहकर किसी जीव-जंतु मानवों से क्रोध, ईष्या, घमंड,क्रूर नजर दूर होकर अच्छे गुणों का पालन करते हुए जो कि सभी की नजर में सर्वश्रेष्ठ ही वही मनुष्य भगवान की नजर में सर्वश्रेष्ठ होता है प्रेम के अधीन होता है। इसी को भगवान के निज चरणों में में स्थान मिलता है और श्री भगवान उसके प्रेम के आधीन हो जाते हैं I

                                    दोहा : प्रेमाधीन ब्रह्म श्याम वेद ने बताया ।
                                          याते यायं नाम प्रेम मंदिर धराया।।

 


इसलिए इसका नाम Prem Mandir रखा गया ।इस मंदिर में राधा कृष्ण जी और ऊपरी मंजिल पर सीताराम जी की मूर्ति खड़े स्वरुप स्वेत सुंदर मूर्ति की स्थापना की गई है, और राजस्थान के कारीगरों ने इस मंदिर को एक खूबसूरती का अजूबा बनाया है।

 

इसकी व्याख्या करते-करते भक्तगण भाव विभोर हो जाते हैं मंदिर में कलाकृति को चुन-चुनकर बड़े कारीगरों ने सुसज्जित किया है, Prem Mandir का संपूर्ण परिसर 54 एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है।

इसमें कृष्ण भगवान और राधा रानी की लीलाओं का वर्णन मूर्तियों-कलाकृतियों को जगह-जगह अनेक रूपों में बनाकर दर्शाया है। जैसे श्री कृष्ण भगवान अपनी उंगली के बल पर ग्वाल बाल की सहायता से गिरिराज पर्वत को उठाते हुए दर्शाया है। इसकी कलाकृति अति सुंदर है।

prem mandir vrindavan

 

शाम के वक्त सायं काल में मधुर ध्वनि का गायन-भजन कीर्तन आरती म्यूजिक सिस्टम के साथ रंगीन फब्बारों के साथ एक घंटे का कार्यक्रम प्रतिदिन होता है जिसमें हजारों श्रद्धालु एकत्रित होकर आनंद लेते हैं। और मंदिर के चारों तरफ रंगीन प्रकाश की छाया मंदिर में चार चांद लगा देती है और विद्युत चलित मूर्तियां व अनोखी झांकियां देखने योग्य हैं

तथा मंदिर की दूसरी मंजिल पर गोलोक और सांकेत लोक वृंदावन व अयोध्या का सुनहरा वर्णन किया गया है। इस मंदिर को देखने के लिए प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं तथा मेले व अन्य उत्सवों में लाखों श्रद्धालु आते हैं।

 भगवान और भक्त के बीच का एक बहुत ही मधुर प्रसंग –

भागवत में वर्णन है दुर्वासा ऋषि राजा अम्बरीष पर क्रोधित हो गए तो उन्होंने अमरीश का वध करने के लिए एक राक्षसी को प्रकट किया तथाउस राक्षसी को आदेश दिया कि जाओ और राजा अम्बरीष का सर कलम करके लाओ।राजा अम्बरीष तो भगवान की भक्ति थे तथा महान पुरुष थे उनको सब कुछ मालूम था कि प्रभु की लीला है

यदि उनके द्वारा सिर काटा जाए तो बड़े सौभाग्य की बात होगी राजा अम्बरीष सिर झुका कर खड़े रहे भगवान तो सर्व व्यापक हैं, तथा अंतर्यामी हैं।अपने भक्त पर विपत्ति मैं उन्होंने अपने चक्र को भेजा और सर्वोत्तम कृत्या राक्षसी का वध किया और फिर दुर्वासा ऋषि भागने लगे

चक्र पीछे चलने लगा दुर्वासा ऋषि अपने प्राणों को बचाते हुए तीनों लोगों में गए तथा ब्रहमा जी व शंकर जी के पास आए और अपने प्राणों की रक्षा की भीक मांगने लगे, और कहने लगे कि भगवन मुझे बचाइए,.तो ब्रह्माजी और शंकर जी ने कहा नहीं दुर्वासा जी हम आप की रक्षा नहीं कर सकते यह चक्र तो हमारे स्वामी श्री हरि विष्णु जी का है।

हम उनके इस कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे अंत में दुर्वासा ऋषि सभी जगह से नाराज होकर नारद जी के पास पहुंचे नारद जी ने समझाया आप राजा अम्बरीष के पास जाओ। वही आपके प्राणों की रक्षा करेंगे दुर्वासा ऋषि पहुंचकर क्षमायाचना मांगने लगे। राजा बोले भक्त तो अपराध मानते ही नहीं उसी उपरांत भगवान स्वयं प्रकट हुए, कहा कि यद्यपि में स्वतंत्र हूं तुम मुझ से परे कोई नहीं है

परंतु में भक्त की भक्ति प्रेम के अधीन हूँ यह तो सभी जानते हैं परंतु वेदों ने बताया है कि भगवान श्रीकृष्ण भी भक्त के प्रेम आधीन है। वेद भगवान की वाणी है भगवान की स्वास से वेद प्रकट हुए हैं वे वेद कह रहे हैं

कि भगवान भक्ति के अर्थात भक्तों की प्रेम सदा अधीन रहते हैं भगवान तो धन,दौलत,मिष्ठान तथा आडंबर दिखावा साधु तथा पीतांबर अपने से बड़े बड़े यज्ञ करने से आधीन नहीं होते भगवान तो कहते हैं कि इस जगत में प्रेम सदा स्नेह होना चाहिए मेरे प्रति तथा जीव-पक्षियों तथा इंसान में इतना प्यार रहे कि मैं सबके आधीन हो जाऊं।।

                          चिद् घानंघन।   वृन्दावन   धामा।
                          वृन्दावन में है दिव्य वृन्दावनधामा।।


                        यामे नित्य विहरत श्याम अरु श्यामा।
                       दीखे   जब।  दृष्टि   देव।  ब्रजबामा।।


                       वृन्दावन महिमा जाने श्याम श्यामा।
                      यामे प्रवेश न पायो कमला सी बामा।।
                        मेरा तो प्राणप्रिय वृंदावन बामा।
                      नाहि चाहूँ मथुरा न द्वारवती धामा।।
                  

Prem Mandir समय सारणी –

प्रातः काल आरती एवं परिक्रमा 5:30 बजे
प्रातः काल भोग व पट बंद 6:30 बजे
प्रातः काल दर्शन व आरती 8:30 बजे
प्रातः काल भोग 11:30 बजे
दोपहर आरती पट बंद 12:00 बजे

 

सायंकाल

दर्शन व आरती 4:30 बजे
भोग 5:30 बजे
सायं काल परिक्रमा 7:00 बजे
शयन आरती 8:10 बजे
पट बंद 8:30 बजे
(ग्रीष्म) म्यूजिक साउंड व फब्बारा (शीतकालीन )
7:30 से 8:00 तक 7:00 से 7:30 बजे
अप्रैल से 30 दिसंबर तक 1 अक्टूबर से 31 मार्च

Brijbhakti.com और Brij Bhakti Youtube Channelआपको वृंदावन के सभी मंदिरों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा रहा है जो भगवान कृष्ण और उनकी लीलाओं से निकटता से जुड़े हुए हैं। हमारा एकमात्र उद्देश्य आपको पवित्र भूमि के हर हिस्से का आनंद लेने देना है, और ऐसा करने में, हम और हमारी टीम आपको वृंदावन के सर्वश्रेष्ठ के बारे में सूचित करने के लिए तैयार हैं!

यह भी देखें:

Banke Bihari Ji Ke Chamatkar 1: बांके बिहारी जी के प्यार में पड़ी एक भक्त की सच्ची कथा

Radha। जो प्यार की परिभाषा समझाने प्रकट हुई इस धरती पर। भाग 1

Prem Mandir Vrindavan – प्रेम मन्दिर

 
 
 

 

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